• इल्म के बारे में हदीस, इल्म की फजीलत




    इस्लाम में ज्ञान की बहुत अहमियत है। अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया कि इल्म (Knowledge) के लिए अगर तुम्हें चीन भी जाना पड़े तो जाओ। खुद क़ुरआने करीम में हजारों ऐसी आयतें हैं जो हमें इल्म को सीखने की तरफ आमादा करती है। आइए जानते हैं इल्म की अहमियत और फजीलत को बयान करने वाली कुछ आयतों और हदीसों के बारे में।

    क़ुरआन का फरमान है कि अल्लाह ताला यकीनन उन लोगों को जो तुम ऐसे ईमान लाए और जिन्होंने इल्म हासिल किया उनके दर्जात बुलंद करके रहेगा। (कुरान सूरह अल मुजादिला 58 आयत नंबर 11)

    अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, कि इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है। (मफ़हूम हदीस) मिस्कात शरीफ पेज 124

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द औरत पर फर्ज है। (मफ़हूम हदीस)
    सुनन इब्न माज़ा वॉल्यूम 1 हदीस नंबर 224)

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया कि हर चीज का एक रास्ता है और जन्नत का रास्ता इल्म है। (मफ़हूम हदीस)

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, रात में एक पल के लिए इल्म का पढ़ना और पढ़ाना रात भर की इबादत से बेहतर है। (मफ़हूम हदीस) दारामी, मिस्कात शरीफ, अनवारूल हदीस पेज 58)

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, इल्म की मजलिस में हाजिर होना 1000 नफिल पढ़ने से अफजल है। (मफ़हूम हदीस) तफसीर रूहुल बयान जिल्द 10 पेज नंबर 221)

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, बेहतरीन सदका यह है कि मुसलमान आदमी इल्म हासिल करे, फिर अपने मुसलमान भाई को सिखाए। (मफ़हूम हदीस, इब्ने माजा जिंद नंबर 1 पेज नंबर 158 हदीस नंबर 243)

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया कि इल्म की तलब में जिसके कदम खाक-आलूद (धूल से गंदे) हों, अल्लाह उसके जिस्म को जहन्नम पर हराम कर देगा, और अल्लाह के फरिश्ते उसके लिए दुआ ए मगफिरत करेंगे। (मफ़हूम हदीस) तफसीरे कबीर

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, जो इल्म की तलाश में किसी रास्ते पर चलता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान फरमा देते हैं। (मफ़हूम हदीस) इब्ने माजा जिंद नंबर 1 पेज नंबर 145

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, जिसने इल्म को तलाश किया तो यह तलाश उसके पिछले गुनाहों का कफ़्फ़ारा हो गई  (मफ़हूम हदीस) मीरात उल मनाहिज़ जिल्द 1 पेज 203

    हजरत मोहम्मद (सल्ल०) ने फरमाया, जिस शख्स को इस हाल में मौत आए कि वह इल्म हासिल कर रहा हो ताकि इसके जरिए इस्लाम को जिंदा करे, तो उसके और अंबिया के दरमियान जन्नत में सिर्फ एक दर्जे का फर्क होगा। (मफ़हूम हदीस) मिस्कात शरीफ हदीस नंबर 231

    इन हदीसों को पढ़कर अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों के पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए।

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