• छह कलमा और उनका हिंदी अनुवाद | कलमा का अर्थ | कुल कलमों की संख्या | Six Kalma in Hindi |



    कलमा का अर्थ क्या है


    ऐसे शब्द जो अपने आप में कुछ खास माने रखते हों कलमा कहलाते हैं लेकिन इस्लामी कलमें से तात्पर्य इस्लाम की बुनियादी बातों और मूल सार को संक्षिप्त में बयान करना है। 

    इस्लाम में कुल कलमों की संख्या कितनी है


    इस्लाम में कुल कलिमों में संख्या 6 है। लेकिन सबसे अहम और मुख्य कलमा कलिम-ए-तय्यबा और कलिम-ए-शहादत हैं। ये सभी कलिमा इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित हैं। यानी इस्लाम की शिक्षाओं को संक्षिप्त रूप में इन कलिमों में बयान किया गया है।

    6 कलमों के नाम ( Name of Six Kalima )


    1. कलमा तय्यब | 2. कलमा शहादत | 3. कलमा तमजीद | 4. कलमा तौहीद | 5. कलमा इस्तिग़फ़ार | 6. कलमा रद्दे कुफ्र



    पहला कलमा तय्यब


    “ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि” 
    لَآ اِلٰهَ اِلَّااللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُولُ اللہِ

    हिंदी अनुवाद: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम अल्लाह के नेक बंदे और आखिरी रसूल हैं।


    दूसरा कलमा शहादत


    “अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह-दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु”

    اَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَہٗ لَاشَرِيْكَ لَہٗ وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهٗ وَرَسُولُہٗ

    हिंदी अनुवाद: मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वो अकेला है और उसका कोई शरीक नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम अल्लाह के नेक बंदे और आखिरी रसूल है।


    तीसरा कलमा तमजीद


    “सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”

    سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم


    हिंदी अनुवाद: अल्लाह की ज़ात पाक है और सब तारीफें अल्लाह ही के लिए है और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है। किसी में न तो ताकत है न क़ुव्वत लेकिन अगर कोई ताकत और क़ुव्वत वाला है तो वो अल्लाह है जो बहुत शान वाला और सबसे आला है।


    चौथा कलमा तौहीद


    “ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर”

    لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ يُحْىٖ وَ يُمِيْتُ وَ هُوَحَیٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًاؕ ذُو الْجَلَالِ وَالْاِكْرَامِؕ بِيَدِهِ الْخَيْرُؕ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شیْ قَدِیْرٌؕ


    हिंदी अनुवाद: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं इबादत के लायक, वो एक है, उसका कोई हिस्सदार नहीं, सबकुछ उसी का है और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है। वही जिंदा करता है और वही मारता है। वो हमेशा रहने वाला है उसे कभी मौत नहीं आने वाली। वो बड़े जलाल और बुज़ुर्गी रखने वाला है। अल्लाह के हाथों में हर तरह की भलाई है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है। हर चीज़ पर प्रभाव रखता है।


    पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार


    “अस्तग़-फिरुल्ला-ह रब्बी मिन कुल्लि जाम्बिन अज-नब-तुहु अ-म-द-न अव् ख-त-अन सिर्रन औ अलानियतंव् व अतूवु इलैहि मिनज-जम्बिल-लजी ला अ-अलमु इन्-न-क अन्-त अल्लामुल गुयूबी व् सत्तारुल उवूबि व् गफ्फा-रुज्जुनुबि वाला हो-ल वला कुव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”


    اَسْتَغْفِرُ اللهِ رَبِّىْ مِنْ كُلِِّ ذَنْۢبٍ اَذْنَبْتُهٗ عَمَدًا اَوْ خَطَا ًٔ سِرًّا اَوْ عَلَانِيَةً وَّاَتُوْبُ اِلَيْهِ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِیْٓ اَعْلَمُ وَ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِىْ لَآ اَعْلَمُ اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ وَ سَتَّارُ الْعُيُوْبِ و َغَفَّارُ الذُّنُوْبِ وَ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللهِ الْعَلِىِِّ الْعَظِيْمِؕ

    हिंदी अनुवाद: मै अपने परवरदिगार यानी अल्लाह से अपने तमाम गुनाहो कि माफ़ी मांगता हूँ। उन गुनाहों की माफी जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल कर किये, छिप कर किये या खुल्लम खुल्ला किये, और तौबा करता हूँ मैं उस गुनाहों से जिन्हें मैं जानता हूँ और उस गुनाहों से भी जिन्हें मैं नहीं जानता। ऐ मेरे अल्लाह बेशक़ तू ग़ैब की बाते जानने वाला और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख़्शने वाला है और गुनाहो से बचने की ताक़त और नेकी करने की क़ुव्वत अल्लाह ही की तरफ है जो बहुत बुलंद मर्तबे वाला है।


    छठा कलमा रद्दे कुफ्र 


      اَ للّٰهُمَّ اِنِّیْٓ اَعُوْذُ بِكَ مِنْ اَنْ اُشْرِكَ بِكَ شَيْئًا وَّاَنَآ اَعْلَمُ بِهٖ وَ اَسْتَغْفِرُكَ لِمَا لَآ اَعْلَمُ بِهٖ تُبْتُ عَنْهُ وَ تَبَرَّأْتُ مِنَ الْكُفْرِ وَ الشِّرْكِ وَ الْكِذْبِ وَ الْغِيْبَةِ وَ لْبِدْعَةِ   وَالنَّمِيْمَةِ وَ الْفَوَاحِشِ وَ الْبُهْتَانِ وَ الْمَعَاصِىْ كُلِِّهَا وَ اَسْلَمْتُ وَ اَقُوْلُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللهِؕ‎

    “अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय-अन व अना आलमु बिही व अस्ताग्फिरुका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुललाह"


    हिंदी अनुवाद: ऐ अल्लाह में तेरी पनाह मांगता हूँ इस बात से कि मैं किसी को जानबूझकर तेरा शरीक बनाऊं और बख्शिश मांगता हूँ तुझसे उस शिर्क की जिसको मैं नहीं जानता और मैनें हर तरह के कुफ्र और शिर्क से तौबा की और अलग हुए झूट से और ग़ीबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहयाईयों से और बोहतान से और तमाम गुनाहो से। और में इस्लाम लाया, और में कहता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम अल्लाह के रसूल है।"




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